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भारतीय व्यापारी झूठ नहीं बोलते – फ्रांसेस्को कारलेटी १६ सदी फ्लोरेंटाइन मर्चेंट

फ्रांसेस्को कारलेटी (1573 – 1636) सोलहवीं सदी का एक फ्लोरेंटाइन व्यापारी था जो जहाज के माध्यम से विश्व भ्रमण किया। इस यात्रा में कारलेटी लगभग २० महीने भारत के गोवा प्रान्त में व्यतीत किया।

अपने निवास के समय में भारतीय जन जीवन के बारे में लिखा है। उसी में से भारतीय व्यापारियों के बारे में कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ।

फ्रांसेस्को कारलेटी कहता है कि –

सिंधु नदी के पास कैम्बे नगर से हर वर्ष भारतीय व्यापारी अपने-अपने जहाजों से गोवा आते हैं। इन व्यापारियों को कारलेटी गुजराती और ब्राह्मण बोलकर सम्बोधित करता है और कहता है ये व्यापारी उसे सज्जन (gentlemen) लगते हैं।

ये किसी भी प्राणी को नही खाते जिनमें लाल रक्त होता है। इनके पास ढेर सारे हिरे होते हैं। कारलेटी ने स्वयं इनके पास से एक २०० कैरट का हिरा देखा था।

इन व्यापारियों द्वारा लाया गया सामान पुर्तगाली जहाजों में लदकर हर वर्ष लिस्बन जाता है। गोवा में इनके घर और दुकान अलग रहते हैं, और वहां वो बहोत सज्जन तरीके से रहते हैं। वे बिना कारन किसी मक्खी की भी जान नहीं लेते।

कारलेटी ने सुना है कि कैम्बे में इन व्यापारियों ने जानवरो के लिए अस्पताल बनाया है। कारलेटी ने स्वयं गोवा में पुर्तगाली बच्चो को इन व्यापारियों से पैसे ऐंठते देखा है। ये बच्चे अपने किसी पक्षी या पालतू जानवर को इन व्यापारियों के सामने मारने का नाटक करते हैं, यह देखकर व्यापारी बच्चों को पैसे देखर जानवर को ना मारने के लिए कहते थे।

इन व्यापारियों के व्यवहार को कुछ ऐसा बताता है

“इस प्रकार के लोगों से निपटने के लंबे अभ्यास से मैं यह भी जानता हूं कि उनके साथ व्यापार करते समय यह देखना एक अद्भुत बात है कि वे वास्तविकता से कैसे जुड़े रहते हैं और अपने सभी कार्यों में निष्ट रहते हैं।

क्रय विक्रय में वे बड़े सच्चे हैं, और हर प्रकार से अपना वचन निभाते हैं। जो वचन देते हैं उसे पूरा करते हैं। वे जो कुछ भी करते हैं वह अत्यधिक नैतिक गुणों से प्रसिद्ध हैं, इसलिए इसके बारे में बताने में काफी समय लगेगा”

भारतीय व्यापारी इतनी पत्नियां रखते हैं

कारलेटी लिखता है कि भारतीय व्यापारी अपने धर्म का अनुसरण करते हुए केवल एक ही पत्नी रखते हैं।

और वे अपनी पत्नियों को हर प्रकार के गहनों और सोने से अत्यधिक सजाकर रखते हैं, जिनमें से कुछ को तो इतना भारी कर दिया जाता है कि उनकी चाल बहोत धीमी हो जाती है।

गोवा के पुर्तगाली कई गुलाम रखते थे पर भारतीय व्यापारी को नहीं रखते देखा

इसके बाद कारलेटी गोवा में पुर्तगालियों के बारे में लिखता है कि वो कैसे घोड़ों पर चलते हैं और कई गुलाम रखते हैं। एक गुलाम छाता पकड़ता है, एक पंखे से मक्खी उडाता है, एक रास्ता बनाता है। हालाँकि उसने कहीं नहीं लिखा है कि व्यापारी गुलाम रखते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि पुर्तगालियों की तरह भारत में गुलाम प्रथा नहीं थी।

श्रेय

१. कवर पेज – Giorgio Albertini (लिंक)

२. My voyage around the world – Francesco Carletti (https://archive.org/details/myvoyagearoundwo0000carl/page/n5/mode/2up)

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