समय से पहले और समय के बाद में हमें कुछ नहीं मिलता। कई बार यात्रा करने के इच्छा और तैयारी के पश्चात, पांच वर्ष के बाद अंततः २०२३ में नर्मदा मैय्या के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यात्रा के पहले दो दिन तेज गति और लम्बी दुरी के होने वाले थे। मैंने इसी प्रकार से अपना मन बना लिया था। एक बार जब मन बन जाये तो शरीर का कष्ट उतना पीड़ा नहीं देता। कहावत बिलकुल सही है “मन के हारे हार है और मन के जीते जित”
हमेशा की तरह घर से यात्रा के लिए सहमति नहीं थी। और रात तयारी कर देर से सोने पर सुबह किसीने उठाने की चेष्टा नहीं की, बाद में पता चला वो यही चाहते थे कि किसी तरह मेरा जाना छूट जाए 😀
भोर में ५:३० की जगह ८:३० बजे बाइक पर लोड करके घर से निकला। देर से निकलने की सजा तो मिलनी ही थी, ठाणे माजीवाड़ा पार करने में १.५ घंटे लग गए।
आगे रोड अच्छा मिला और लगभग ११:३०-१२ बजे नाशिक पहुंच गया। दुविधा थी कि नागपुर शिरडी होकर जाऊं या नाशिक धुलिया होकर। मार्ग में सभी ने शिरडी से जाने कहा, किन्तु मै अपना निर्णय बनाकर पिछली बार से गए हुए मार्ग से जाना उचीत समझा।
नाशिक हाईवे पकड़कर सहर पार किया और गरम दोपहर में धुले तक देखते देखते पहुंच गया।
धुले से जळगाव → भुसावळ → अकोला आते आते शाम ढलने लगा। आशा से बढ़कर ये महामार्ग अच्छा था। लगभग पुरे मार्ग में डिवाइडर था और बिच बिच में निर्माण कार्य चलने के कारन डायवर्सन लेना पढता था।
ध्यान न रहने के कारन अकोला शहर में प्रवेश कर गया, शाम के ट्रैफिक से निकलते निकलते सूर्य देव निकल गए और अँधेरा हो गया।
अकोला से अमरावती लगभग १०० km है, इस मार्ग पर उतना ट्रैफिक भी नहीं दिखा और कुछ अधिक डायवर्सन मिले। पूरा मार्ग अँधेरे में ८० -९० kmph की गति पर पार करना पड़ा। बाइक में लगाए नहीं auxiliary lights ने सड़क पर गड्ढों को प्रदर्शित करने में बहोत सहायता की, जिससे बाइक चलाने में तनाव नहीं हुआ।
योजना विपरीत मै अँधेरे में नागपुर नहीं जाना चाहता था, और आज की रात अमरावती में ठहरना सही समझा। अमरावती शहर में प्रवेश करते ही एक होटल (होटल लैंडमार्क) में ठहर गया।
रात में दाल खिचड़ी खाकर, माँ नर्मदा के दर्शन की शीघ्र अभिलाषा और उत्सुकता रखकर सो गया।
मुझे स्वयं पर आश्चर्य हुआ की दो दिन ७००-७०० किलोमीटर से अधिक दुरी तक मोटरसाइकिल चलाकर भी मेरा शरीर आशा से बहोत काम थका हुआ और कष्ट में था, लगभग ना के बराबर। संभवतः ये माँ नर्मदा के आशीवार्द का फल था।

